Ansh Unlimited
Wednesday, September 9, 2009
सिर्फ़ मैं
शब्दों की कोख में,
पनपता मेरा संसार
समय की शिलाओं पर,
कुरेदी
हुई कुछ लकीरें
और कुछ टेढे मेढे आकार
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